डॉ.गिरधारी चंद्राकर द्वारा किए गए कलेक्टर के समक्ष कार्यवाही की मांग पत्र में 42 लोगों के फर्जी हस्ताक्षर की खुली पोल !
महासमुंद। जिले में पंचायत चुनाव के बाद उभरकर यदि कोई गांव आया है तो वह है ग्राम पंचायत बेलसोंडा जहां की सरपंच श्रीमति भामनी पोखन चंद्राकर एवं उपसरपंच श्रीमती हुलसी जितेंद्र चंद्राकर की जोड़ी के कारण सभी पंचों के साथ पूरा गांव एकता के सूत्र में बंधकर ग्राम विकास में अहम भूमिका निभाते हुए भू माफियाओं एवं अवैध कब्जाधारियों की करतूतों की पोल खोल रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत बेलसोंडा की सरपंच एवम् उपसरपंच के खिलाफ डॉ. गिरधारी चंद्राकर एवम् उनके भाई डॉ.गोपाल चंद्राकर,डॉ.घनश्याम चंद्राकर द्वारा समस्त ग्रामवासियों के नाम से हस्ताक्षरित एक फर्जी शिकायत महासमुंद कलेक्टर के समक्ष दिनांक 25/8/2020 को किया गया था ।
जिसमें लिखा गया है कि सरपंच एवम् उपसरपंच द्वारा अवैध कब्जा का काम किया गया है, जिसके कारण उन्हें पद से बर्खास्त किया जाए।
आवेदन पत्र में डॉ. गिरधारी के हस्ताक्षर के साथ 49 अन्य ग्रामीणों के हस्ताक्षर भी पाया गया है ।
लेकिन देखने से लगता है कि ये सभी सिग्नेचर दो तीन आदमी ने ही अन्य ग्रामीणों के नाम से किया होगा। तत्पश्चात जिलाधीश द्वारा आवेदन को तत्काल संज्ञान में लेते हुए जिला पंचायत को भेजा गया जिला पंचायत के माध्यम से एक तीन सदस्यीय जांच दल गठित करके दिनांक 18/9/2020 को बेलसोंडा भेजा गया ताकि आवेदन की वास्तविकता स्पष्ट हो सके । लेकिन जैसे कि आवेदन को प्रथम दृष्ट्या देखने से ही समझ में आ गया था कि यह सिर्फ पंचायत एवम् जिला प्रशासन का समय बर्बाद करने के लिए एक पूर्व नियोजित मनगढ़ंत आरोप है ।
चूंकि आवेदन में आवेदक समस्त ग्रामवासी लिखा गया था इसलिए सरपंच द्वारा सभी ग्रामीणों को जांच टीम के समक्ष प्रस्तुत किया गया ताकि शिकायत की वास्तविकता सामने आ सके। सरपंच एवम् उपसरपंच ने अपना अपना बयान दिया जिसने दोनों के द्वारा किसी भी प्रकार का अवैध कब्जा नहीं करना बताकर इसे झूठा एवम् फर्जी बताते हुए डॉक्टर गिरधारी द्वारा निजी रंजिश बताया गया क्योंकि दिनांक 6/8/2020 को धानमंडी के लिए पंचायत द्वारा डॉक्टर गिरधारी चंद्राकर के साढ़े नौ एकड़ जमीन को छुड़ाकर अतिक्रमण मुक्त किया गया है इसलिए झूठी एवम् फर्जी शिकायत किया गया है । फर्जी आवेदक के विरूद्ध CRPC की धारा 190(A) के तहत कार्यवाही करने के लिए भी दोनों महिला जनप्रतिनिधियों ने अपने बयान में कहा ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति
इस तरह की मिथ्या शिकायत न कर सके। जांच टीम द्वारा डॉक्टर गिरधारी को तथा उनके आवेदन में हस्ताक्षर किए सभी लोगो को बुलाने कहा गया तो डॉक्टर गिरधारी अपने भाई डॉक्टर गोपाल सहित जांच दल के साथ बहस करने लग गए कि मै अपने लोगों के साथ बंद कमरे में अपना बयान दूंगा ।
तथा बयान लिखने के बाद उसका भाई बयान को लेकर पंचायत के बाहर जाकर उनके पक्ष में गवाही देने के लिए अन्य लोगों से निवेदन करने लगा । बड़ी मुश्किल से उनके पक्ष में 8 लोग ही बयान देने के लिए तैयार हुए बाकी पूरा गांव सरपंच एवम् उपसरपंच के समर्थन में रहे। इस प्रकार जांच दल को तुरंत स्पष्ट हो गया कि जिलाधीश को कि गई शिकायत पूर्णतः झूठी एवम् फर्जी है क्योंकि झूठी आवेदन में 50 लोगो का हस्ताक्षर है जबकि जांच दल के समक्ष मात्र 8 लोग ही आए। स्पष्ट है कि बाकी के 42 हस्ताक्षर ग्रामवासियों के नाम से फर्जी तरीके से किया गया है। इस संबंध सरपंच श्रीमती भामनी चंद्राकर एवम् उपसरपंच श्रीमती हुलसी चंद्राकर ने बताया कि सच्चाई थक सकती है लेकिन हार नहीं मान सकती ।