सुनील यादव
महासमुंद। ग्राम पंचायत बेलसोंडा में देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मोत्सव ग्राम पंचायत की सरपंच श्रीमति भामिनि पोखन चंद्राकर एवं उप सरपंच श्रीमती हुलसी जितेंद्र चंद्राकर द्वारा समस्त पंच गण तथा ग्रामवासियों की उपस्थिति में धूमधाम से मनाया गया जिसमें सभी के द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दीघार्यु एवं स्वस्थ जीवन के लिए गांव की अधिष्ठात्री देवी मां शीतला से प्रार्थना की गई। इसमें समस्त पंचों के अलावा गांव के समर्थको में संत तुलसी राम सेन,परस चंद्राकर,माखन चंद्राकर, रामसहाय साहू,रामनाथ साहू, शत्रुघ्न साहू,उदय राम साहू,संतु साहू,तेजराम जलक्षत्री, मोहन साहू,हितेश यादव,हीरालाल यादव,हेमन्त जल्क्षत्री, मोनू यादव, तेजेश्वर चंद्राकर,राकेश साहू,प्रीतम साहू, हीरालाल साहू,प्रेमलाल साहू,देवचंद साहू,सुनील धीवर के साथ अन्य लोग उपस्थित थे। पोखन चंद्राकर द्वारा देश के प्रधान सेवक के बारे में उदबोधन किया गया उपस्थित सभी लोग जय जय श्रीराम के साथ शिल्पकार भगवान श्री विश्वकर्मा की जयंती पर हृदय से शुभकामनाएं दीं श्री चंद्राकर ने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भी जन्मदिन पर सभी को शुभकामनाएं प्रेषित कर आभार व्यक्त करते हुए कहा कि श्री मोदी की देश के प्रति निष्काम और निस्वार्थ भक्ति ने ही उनको आज देश की कमान संभालने का सुअवसर दिया है। इसलिए हमे राजनीति श्री मोदी से सीखनी चाहिए,क्योंकि वह समर्पण भाव के साथ देश सेवा में तल्लीन हैं। सभी जानते हैं कि लोकतंत्र में कोई भी कुर्सी खाली रहती नहीं है, और खाली होते ही अगला व्यक्ति उस खाली हुए कुर्सी में बैठने के लिए लालायित रहता है,इसलिए हमें समय रहते ऐसे ऐसे व्यक्ति तैयार करके रखना है जो उस खाली कुर्सी में बैठकर उस पद की गरिमा को बरकरार रखते हुए जनहित में कार्य करते रहे। क्योंकि यदि हम अच्छे लोग उस कुर्सी में नहीं बैठेंगे,तो कोई गंदा व्यक्ति आकर उस कुर्सी में बैठकर पूरे शासन को कब्जा करके प्रशासनिक व्यवस्था को सुचारू रूप से चलने नहीं देगा । परिणाम स्वरूप भ्रष्टाचार और अन्याय बढ़ेगा। इसलिए सभी युवा साथी अभी से ही एक अच्छा व्यक्ति तैयार करने में जुट जाएं,ताकि उनकी ईमानदारी और देशभक्ति से हम जनता जनार्दन सुखमय जीवन व्यतीत कर सकें। उन्होंने कहा कि आप कभी ये मत सोचना कि " मै अकेला क्या कर सकता हूं,आप हमेशा यह सोचिए कि मै ही यह कार्य कर सकता हूं । और मुझसे बेहतर कोई भी नहीं कर पाएगा ।
और मेरे युवा साथियों मुझे पूरा आशा और विश्वास है कि हमारी यही सोच हममें निखार लाती है और प्रत्येक कार्य को ईमानदारी के साथ करने का जज्बा पैदा करती है। हमारी यही सोच हमे जनता जनार्दन के करीब रखती है और इसी समर्पण भाव के कारण ही एक सामान्य व्यक्ति उच्च पद को प्राप्त करने में सफल हो जाता है। स्वार्थी और निस्वार्थ व्यक्ति में बस इतना ही अंतर होता है कि स्वार्थी व्यक्ति हमेशा नोटों के करीब जाने की सोचता है ।
क्योंकि उनकी सोच संकीर्ण होती है और अपने आप को सिर्फ और सिर्फ पांच साल का नौकर समझता है। लेकिन इसके विपरित निस्वार्थ व्यक्ति हमेशा जनता जनार्दन के करीब रहने की सोच रखते हुए उनके दुख और सुख में सम्मिलित होकर अपने जीवन को धन्य समझता है कि भगवान कि कृपा से ही मुझे जनता की सेवा करने का सुअवसर प्राप्त हो रहा है और वही व्यक्ति लंबी पारी खेलता है। क्योंकि उनको अपनी ईमानदारी और समर्पण भाव पर पूर्ण विश्वास होता है।