सीएम भूपेश ने की घोषणा यहां 7 करोड़ रुपए में बनेगा ईको रिसार्ट और कैफेटेरिया - reporterkranti.in

reporterkranti.in

RNI NO CHHHIN/2015/71899

Breaking

Home Top Ad

Post Top Ad

Sunday, September 13, 2020

सीएम भूपेश ने की घोषणा यहां 7 करोड़ रुपए में बनेगा ईको रिसार्ट और कैफेटेरिया



 रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज प्रसारित अपनी रेडियो वार्ता लोकवाणी की दसवीं कड़ी में समावेशी विकास-आपकी आस विषय पर श्रोताओं के साथ अपने विचार साझा किए। मुख्यमंत्री ने लोकवाणी में ही घोषणा करते हुए कहा कि राजमेरगढ़ और कबीर चबूतरा की प्राकृतिक छटा और ऐतिहासिक महत्व का सम्मान करते हुए यहां ईको रिजॉर्ट, कैफेटेरिया तथा अन्य पर्यटन अधोसंरचनाओं का विकास तेजी से किया जाएगा। फिलहाल इसके लिए 7 करोड़ रुपए की लागत से विकास कार्य शीघ्र शुरू होंगे।

नए जिले में पर्यटन विकास की संभावनाओं को साकार किया जाएगा

मुख्यमंत्री ने कहा कि गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिला गठन के 6 माह के अंदर, वहां करीब 100 करोड़ रुपए के विकास कार्यों की स्वीकृति मिल चुकी है। कई कार्य प्रगति पर हैं। मरवाही अनुभाग, मरवाही नगर पंचायत, सरकारी अंग्रेजी माध्यम शाला तथा महंत बिसाहूदास उद्यानिकी महाविद्यालय, एक के बाद एक नई-नई उपलब्धियां नए जिले के खाते में जुड़ती जा रही हैं। नए जिले में पर्यटन विकास की संभावनाओं को साकार किया जाएगा। साथ ही इसे ग्रामीण विकास के रोल मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा।

महान विभूतियों की न्याय की अवधारणा में मिला विकास का छत्तीसगढ़ी मॉडल

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, सरदार पटेल, डॉ. अम्बेडकर, शास्त्री, आजाद, मौलाना जैसे हमारे नेता जिस न्याय की बात करते थे, उसी साझी विरासत से हमें विकास का छत्तीसगढ़ी मॉडल मिला है। समावेश का सरल अर्थ होता है- समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलना, सभी की भागीदारी, सबके विकास की व्यवस्था। उन्होंने कहा कि किसान को जब हम अर्थव्यवस्था की धुरी मान लेंगे तो समझ लीजिए कि समावेशी विकास की धुरी तक पहुंच गए हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों को अर्थव्यवस्था के केन्द्र में रखा है। इसके साथ ही अर्थव्यवस्था में किसान, ग्रामीण, अनुसूचित जाति- अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के गंभीर प्रयास करते हुए राज्य सरकार सबसे विकास की व्यवस्था कर रही है।

सभी की आजीविका और बेहतर आमदनी की व्यवस्था समावेशी विकास का मूलमंत्र

मुख्यमंत्री ने समावेशी विकास की अवधारणा को छत्तीसगढ़ में लागू किया करने के संबंध में कहा कि समाज के जो लोग चाहे वे छोटे किसान हों, गांव में छोटा-मोटा काम-धंधा करने वाले लोग हों, खेतिहर मजदूर हों, वनोपज पर आश्रित रहने वाले वन निवासी तथा परंपरागत निवासी हों, चाहे कमजोर आर्थिक स्थिति वाले परिवार की महिलाएं हों, ग्रामीण अंचलों में परंपरागत रूप से काम करने वाले बुनकर हों, शिल्पकार हों, लोहार हों, चर्मकार हों, वनोपज के जानकार हों, सभी के पास कोई न कोई हुनर है, जो उन्हें परंपरागत रूप से मिलता है। समय की मार ने उनकी चमक, उनकी धार को कमजोर कर दिया है। उनके कौशल को बढ़ाया जाए, उनके उत्पादों को अच्छा दाम मिले, अच्छा बाजार मिले तो वे बड़ा योगदान कर सकते हैं। ऐसे सभी लोगों की आजीविका और बेहतर आमदनी की व्यवस्था करना ही समावेशी विकास का मूलमंत्र है।

किसानों को माना अर्थव्यवस्था की धुरी

मुख्यमंत्री ने रेडियो वार्ता के श्रोताओं से कहा कि किसान को जब हम अर्थव्यवस्था की धुरी मान लेंगे तो समझ लीजिए कि समावेशी विकास की धुरी तक पहुंच गए हैं। राजीव गांधी किसान न्याय योजना से प्रदेश के 19 लाख किसानों को लाभ मिल रहा है। दो किस्तों में 3 हजार करोड़ का भुगतान हो चुका है। अब जल्दी ही पूरे 5700 करोड़ रू. भुगतान का वादा भी पूरा हो जाएगा। हमने न सिर्फ धान के किसानों को 2500 रूपए प्रति क्विंटल देने का वादा पूरा किया है, बल्कि मक्का, गन्ना के साथ छोटी-छोटी बहुत सी फसलों का भी बेहतर दाम देंगे। राज्य सरकार ने कर्ज माफी की, सिंचाई कर माफ किया और अब न्याय योजनाओं का सिलसिला भी शुरू कर दिया है।

गोधन न्याय योजना के चालू होते ही गौठान निर्माण में तेजी आई है। हर 15 दिन में हम खरीदे गए गोबर का भुगतान कर रहे हैं। स्व-सहायता समूह से जुड़कर ग्रामीण महिलाएं गोबर खरीदकर, वर्मी कम्पोस्ट बना रही हैं। इस तरह से ग्रामीण जनता ही नहीं, बल्कि अनेक संस्थाओं को भी अपनी भूमिका निभाने का अवसर मिला। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए गांव के सभी वर्गों का एकजुट होना, मेरे ख्याल से सिर्फ आर्थिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक क्रांति भी है। जिस तरह से कुछ लोग गाय और शिक्षा प्रणाली को लेकर सिर्फ बातें करते थे, करते कुछ नहीं थे। उन्हें यह देखना चाहिए कि हमारे 40 नए इंग्लिश मीडियम स्कूलों में प्रवेश भी अब सम्मान का विषय बन गया है। पढ़ाई तुंहर दुआर पढ़ाई तुंहर पारा, जैसे लोक अभियानों से हमने बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखा है।

कोरोना संक्रमण की रोकथाम और उपचार के लिए किए जा रहे हर संभव उपाय

मुख्यमंत्री ने प्रदेश में कोरोना संकट से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी देते हुए कहा कि मार्च 2020 की स्थिति में केवल एम्स रायपुर में ही कोविड टेस्टिंग की सुविधा थी, जिसे बढ़ाना एक बड़ी चुनौती थी। आज की स्थिति में राज्य के सभी 6 शासकीय मेडिकल कॉलेज, 4 निजी लैब में आर.टी.पी.सी.आर. टेस्ट, 30 लैब में ट्रू नॉट टेस्ट तथा 28 जिला अस्पतालों सहित सभी सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में रैपिड एंटीजन किट से टेस्ट की व्यवस्था कर दी गई है।

मार्च 2020 में प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार की सुविधा केवल एम्स रायपुर में थी, लेकिन राज्य शासन ने सुनियोजित कार्ययोजना से अब तक 29 शासकीय, 29 डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल, 186 कोविड केयर सेन्टर की स्थापना कर दी है। 19 निजी अस्पतालों को भी उपचार हेतु मान्यता दी गई है। मार्च 2020 की स्थिति में 54 आईसीयू बिस्तर तथा 446 जनरल बेड उपलब्ध थे, जिसमें बढ़ोतरी करते हुये अब 776 आईसीयू बेड्स तथा 28 हजार 335 जनरल बेड उपलब्ध करा दिए गए हैं, जो कि एक बड़ी उपलब्धि है। राज्य के सरकारी अस्पतालों में आपातकालीन सुविधा हेतु 148 वेन्टिलेटर थे। जो अब बढ़कर 331 हो गए हैं। श्री बघेल ने कहा कि संक्रमण की रोकथाम और उपचार के लिए हर संभव उपाय किए जा रहे है।

एसिम्टोमेटिक मरीजों को होम आइसोलेशन की सुविधा

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वक्त सबसे बड़ी जरूरत है कि सब लोग मिलकर हिम्मत का परिचय दें। सावधानी और साहस से यह दौर भी निकल जाएगा। राज्य में ज्यादातर व्यक्ति एसिम्टोमेटिक श्रेणी के आ रहे हैं। इसको लेकर भी भ्रमित होने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन फेस मास्क और फेस शील्ड के महत्व को समझें। हाथ साफ करने के लिए साबुन-पानी, सेनेटाइजर का उपयोग करें। भीड़ से बचें। एसिम्टोमेटिक मरीजों के होम आइसोलेशन की सुविधा भी नियमानुसार उपलब्ध है। लगातार समीक्षा और सुधार से स्थितियों को बेहतर किया जा रहा है। टेलीमेडिसिन परामर्श केन्द्र के माध्यम से पूर्ण जानकारी, उपचार हेतु मार्गदर्शन व दवाईयॉ उपलब्ध कराने की सुविधा भी दी है। संकट अभी टला नहीं है। सावधानी जरूरी है।

Post Bottom Ad

ad inner footer